दिनेश ल्वेशाली, स्पेशल कोरेस्पोंडेंट, ICN-उत्तराखंड
आज आपका परिचय करवाते हैं जनकवि ‘निर्दल बंधु’ गंगाराम आर्य से जिनकी उम्र 53 वर्ष जो मूल निवासी ग्राम उनयौड़ा बसौरी, लमगड़ा ब्लॉक निकट मुक्तेश्वर और हाल निवासी गौलागेट,बिन्दुखत्ता हैं। इनकी शिक्षा इंटरमीडिएट है और इन्होंने स्टेनोग्राफी का भी डिप्लोमा लिया है। इनका विवाह हुवा और एक पुत्री भी हुई लेकिन कुछ वर्ष बाद कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के चलते पत्नी की मृत्यु हो गयी और लगभग 1 वर्ष की आयु में पुत्री का भी देहांत हो गया।गंगाराम के अंदर कई प्रतिभाएं हैं जो समाज की अपेक्षाओं का शिकार होने के कारण सामने नहीं आ पायी। गंगाराम ने *युगचेतना* नामक एक सांस्कृतिक कार्यक्रम हेतु एक संगठन भी बनाया क्योंकि खुद गंगाराम एक गायक,लेखक होने के साथ साथ एक कवि भी हैं इनकी लिखी हुई कई पुस्तकें और कविताएं आर्थिक और कुछ अन्य कारणों से प्रकाशित नहीं हो पायी। नीचे उनकी कुछ स्वरचित कविताएं भी दिखायी गयी हैं। इसके साथ साथ गंगाराम ने 15 वर्षों तक बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान की। इनके पढ़ाये गए आज कई छात्र अच्छे इंजीनयर,पत्रकार और पुलिस विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।गंगाराम ने एक भावनात्मक शोध पत्र भारत के राष्ट्रपति के लिए भी तैयार किया है जिसे वो बहुत जल्द राष्ट्रपति को भेजने वाले हैं।इस पोस्ट को डालने का मकसद सिर्फ ऐसे चेहरों को आप सभी के सामने लाना है जिन्होंने समाज भलाई के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया और उन्हें समाज की ही उपेक्षाओं का सामना करना पड़ रहा है। आज गंगाराम दर दर की ठोकरें खा रहे हैं। स्वास्थ से भी परेशान हैं और हालात ऐसे हैं कि जीवन यापन करने के लिए दूसरों का सहारा लेना पड़ रहा है क्योंकि अब ये ऐसी स्तिथि में नहीं कि कुछ काम कर सकें और बिना काम 2 वक्त की रोटी का इंतज़ाम करना कितना मुश्किल है ये हम सब जानते।